Team Edubeats
| Updated:Nov 28, 2020अयोध्या
अवध विश्वविद्यालय में प्रशासन की मनमानी चरम सीमा पर पहुंच गई है। आगामी 1 दिसम्बर को स्नातक एमएलसी और शिक्षक एमएलसी का चुनाव होना है लेकिन अवध विश्वविद्यालय ने इसी दिन कई परीक्षाएं करवाने का निर्णय लिया है। जिस कारण कई ग्रेजुएट स्टूडेन्ट्स वोट करने के अधिकार से वंचित हो जाएंगे, जो इन स्टूडेन्ट्स का मौलिक अधिकार है।
तमाम शिक्षकों और छात्रों को अपने मताधिकार से होना पड़ेगा वंचित
वोट करने के अधिकार को मौलिक और संवैधानिक अधिकार माना गया है, लेकिन अवध विश्वविद्यालय की मनमानी के चलते स्नातक एमएलसी और शिक्षक एमएलसी के चुनाव में कई ग्रेजुएट छात्रों और शिक्षकों के मौलिक और संवैधानिक अधिकार प्रभावित होने जा रहे हैं। बता दें कि आगामी 1 दिसंबर को गोरखपुर-अयोध्या निर्वाचन क्षेत्र के शिक्षक एमएलसी और लखनऊ डिविजन के स्नातक एमएलसी का चुनाव होना है और इसीदिन अवध विश्वविद्यालय ने कई परीक्षाएं भी घोषित कर दी हैं, जिस कारण परीक्षा में लगे तमाम शिक्षकों और छात्रों को अपने मताधिकार से वंचित होना पड़ेगा।
स्टूडेंट्स के मताधिकार को छीन रहा विश्वविद्यालय प्रशासन
आपको बता दें कि गोरखपुर-अयोध्या शिक्षक एमएलसी चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। आगामी 1 दिसंबर को शिक्षक एमएलसी चुनाव में परमानेंट शिक्षकों के साथ-साथ एडेड कॉलेज, संस्कृत महाविद्यालय व अवध यूनिवर्सिटी के तमाम शिक्षक शामिल होते हैं, लेकिन इस बार अवध यूनिवर्सिटी में उसी दिन कई परीक्षाएं आयोजित की गई हैं, जिनमें शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है, जिसके कारण वे शिक्षक एमएलसी के चुनाव में मतदान से वंचित रह जाएंगे। इसके साथ ही परीक्षाओं में शामिल होने में ग्रेजुएट स्टूडेंट्स भी मतदान से वंचित रह सकते हैं। अब सवाल ये है कि क्या अवध विश्वविद्यालय प्रशासन को शिक्षकों के मौलिक अधिकारों की चिंता नहीं है? क्या अवध विश्वविद्यालय प्रशासन देश का भविष्य तय करने वाले स्टूडेंट्स के मताधिकार को भी छीनना चाहता है?
बता दें कि अवध विश्वविद्यालय प्रशासन अपने मनमाने ढ़ंग से काम कर रहा है। इस मामले को लेकर एजुकेशन बीट्स के रिपोर्टर ने विश्वविद्यालय के कुलपति रवि शंकर सिंह से लेकर परीक्षा नियंत्रक उमा नाथ सिंह चौहान तक से बात करने की कई बार कोशिश की, उन्हें कई बार मैसेज भी किए लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला।