Team Edubeats
| Updated:Jan 13, 2021वाराणसी
वाराणसी के सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की जयंती पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर प्राकृत एवं जैनागम विभाग उद्भट विद्वान आचार्य हरिशंकर पान्डेय ने कहा कि स्वामी विवेकानंद सदैव अपना सम्पूर्ण जीवन एक शिक्षक की भांति सम्पूर्ण राष्ट्र को निर्मित करते रहे, आज हमें यह विचार करने की आवश्यकता है कि आधुनिक शिक्षा किस दिशा में जा रही है आज अच्छे मनुष्य का निर्माण करना बहुत कठिन हो गया है। स्वामी विवेकानंद जी भारतीय भाषाओं का अध्ययन कर अपने सम्पूर्ण जीवन को गौरवशाली समाज की स्थापना करने के लिए समर्पित कर दिए।
मुख्य अतिथि तुलनात्मक धर्म दर्शन के विभागाध्यक्ष प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी ने कहा कि किसी भी देश की उन्नति की बागडोर युवाओं के हाथों में होती है। युवा ही उस देश के भविष्य होते हैं। आज के परिदृश्य में जहां चारों तरफ विभिन्न तरह से कोविड के कारण परेशानी आयी ऐसे मे युवाओं ने बढ़ चढ़कर अपनी सहभागिता देते हुये इस महामारी काल में देश के संतुलन को बनाये रखा।
आधुनिक ज्ञान विज्ञान के पूर्व संकायाध्यक्ष एवं शिक्षाशास्त्र विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो. प्रेम नारायण सिंह ने अध्यक्षता करते हुये कहा कि युग पुरुष, वेदान्त दर्शन के पुरोधा, मातृभूमि के उपासक, विरले कर्मयोगी एवं करोड़ो युवाओं के प्रेरणा स्रोत और प्रेरणापुंज स्वामी विवेकानंद का जन्म आज के दिन 1863 को कलकत्ता मे हुआ था।
आचार्य प्रेम नारायण ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने जन्म लेकर न केवल हिन्दू धर्म को अपना गौरव लौटाया अपितु विश्व फलक पर भारतीय संस्कृति व सभ्यता का परचम भी लहराया। जयंती महोत्सव के संयोजक एवं संचालक वेदान्त के अद्भुत विद्वान एवं संयोजक (राष्ट्रीय सेवा योजना) आचार्य सुधाकर मिश्र ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने सदैव अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस के अद्वैत वेदान्त के व्यवहारिक पक्ष को जन-जन तक प्रतिष्ठित किया।
जयंती महोत्सव के प्रारम्भ में डॉ विजय कुमार शर्मा ने मंगलाचरण किया। वहां उपस्थित अतिथियों ने मां सरस्वती एवं स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण किया। उस दौरान प्रो. महेंद्र पान्डेय, प्रो. शैलेश मिश्र, प्रो. अमित कुमार शुक्ल, डॉ राजा पाठक, डॉ सत्येंद्र कुमार यादव , शेष नारायण, संदीप एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं।