Nimisha Bajpai
| Updated:Dec 05, 2020लखनऊ
लखनऊ विश्वविद्यालय ने शुक्रवार को एक विशेष अतिथि का स्वागत किया। दरअसल, सिराजुद्दीन अहमद के पुत्र कर्नल फसीह अहमद ने कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय से मुलाकात कर अपने पिता की इंटरमीडिएट, बैचलर ऑफ साइंस और बैचलर ऑफ लॉ की मूल डिग्रियां विश्वविद्यालय को सौंपी।
उत्कृष्ट रूप से संरक्षित 100 साल पुरानी पहली डिग्री कर्नल फसीह अहमद के पिता सिराजुद्दीन अहमद की कैनिंग कॉलेज से मिली इंटरमीडिएट की डिग्री है। दूसरी डिग्री कैनिंग कॉलेज से नवंबर 1920 में लखनऊ विश्वविद्यालय बने इस संस्था की पहले स्नातक पाठ्यक्रम की डिग्रियों में से एक है।
कर्नल फसीह अहमद खुद लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र थे। उन्होंने अपने पिता द्वारा परिसर के बारे में बताए गए किस्सों की याद ताजा करते हुए कहा कि कैसे विश्वविद्यालय उनके जीवन में एक प्रारंभिक शक्ति रहा है।
सिराजुद्दीन अहमद ने 1920 में अपना इंटर पास किया और लखनऊ के नवगठित विश्वविद्यालय में पहले स्नातक डिग्री पाठ्यक्रम में दाखिला लिया। उन्होंने 1922 में विषयों के रूप में रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान और जूलॉजी के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1925 में अपनी व्यावसायिक विधि की डिग्री पूरी की।
1925 में सिराजुद्दीन अहमद को इम्पीरियल पुलिस बल के लिए चुना गया और जिस दिन भारत ने स्वतंत्रता हासिल की। वे उत्तर प्रदेश के पहले भारतीय डीआईजी बने। कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने कर्नल फसीह अहमद को विश्वविद्यालय के लिए विशेष रूप से अपने शताब्दी वर्ष में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए धन्यवाद दिया।