Divya Gaurav
| Updated:Jul 16, 2021मिर्जापुर/लखनऊ
खेल के मैदान में उत्तर प्रदेश का नाम रोशन करने वाले राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी विवेक मिश्रा ने एजुकेशन बीट्स की खास सीरीज "एक मुलाकात" से जुड़कर बताया कि किस प्रकार वह एक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी से दिहाड़ी मजदूरी करने पर मजबूर हो गए। विवेक ने उत्तर प्रदेश को खेल के मैदान में कई मेडल दिलाए लेकिन आज उनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। क्योंकि अब वह बेरोजगार है और परिवार के जीविकोपार्जन के लिए दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हो गए है।
विवेक यूपी के लिए नेटबॉल खेलते थे। विवेक का कहना है कि उनके परिवार में दूसरा कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो उनके परिवार के जीविकोपार्जन के लिए एक रूपए भी कमा सके.... इसलिए अपने परिवार का पेट पालने के लिए मुझे दिहाड़ी मजदूरी करने पर मजबूर होना पड़ा। विवेक कहते हैं कि मेरे अंदर खेल का कीड़ा है मैं अभी भी देश के लिए खेलना चाहता हूँ... मुझे अगर आज भी मौका दिया जाए तो मैं खेल सकता हूँ, देश का नाम रोशन कर सकता हूँ... लेकिन मेरे न खेल पाने का सबसे बड़ा कारण मेरा परिवार उसे कौन पालेगा? विवेक ने कहा कि एक खिलाड़ी को ऐसे ही भुला दिया जाएगा हमने सपने में नहीं सोचा था।
विवेक कहते हैं कि मैंने नेटबॉल की यूपी टीम के लिए खेलते हुए कई पदक भी हासिल किए हैं और आज भी यूपी सीनियर टीम का सदस्य हूँ। विवेक की नौकरी संविदा के पद पर मिर्जापुर के स्टेडियम में लगी थी, लेकिन मार्च 2020 में कोरोना काल में वह भी छिन गई। ऐसे में विवेक अब बेरोजगार है और परिवार का जीविकोपार्जन करने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हो गए है। विवेक का कहना है कि हमने 8 साल तक नेटबॉल को खेला है, कई पदक भी दिलाए हैं। उसके बाद भी कोई सुनने वाला नहीं है। विवेक कहते हैं कि इस सोच में रहकर मुझे रात को नींद नहीं आती। मैं डिप्रेशन में न चला जाऊं यह सोचकर मेरे परिवार वाले भी दुखी हैं। इसी के साथ एजुकेशन बीट्स के साथ विवेक ने और भी कई खास बातें साझा कीं... देखें पूरा इंटरव्यू....