Team Edubeats
| Updated:Jan 14, 2021उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव हैं तो आम आदमी पार्टी भी सक्रिय हो गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्पष्ट कर दिया है कि आप चुनावी मैदान में उतरेगी। शिक्षा व्यवस्था के मुद्दे पर दिल्ली के डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया ने आप को जमीन पर उतारने की कोशिश की।
पहला सबूत
आप को यूपी में लॉन्च करने की योजना के परखच्चे उड़ गए। वजह मनीष सिसोदिया के वो जवाब जो उन्होंने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के वक्त पत्रकारों को दिए। जवाब में भक्त भी है, चुप्पी भी, खीझ भी। सवाल था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोना महामारी के भयानक दौर में कहा था कि दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्लीवालों का इलाज होगा...फिर यूपी में राजनीति की उम्मीद कैसे कर सकती है आप। सवाल पर मनीष सिसोदिया की चुप्पी थी। सवाल यह भी था कि आप की ओर से कहा गया था कि बिहार से एक शख्स 500 रुपये की टिकट लेकर दिल्ली इलाज कराने आता है और वापस चला जाता है, फिर आप पूर्वांचल के लोगों से कैसे स्वीकार्यता की उम्मीद कर सकते हैं। खैर, आप के ये बयान पार्टी के अंदर छाया भयानक अंधकार जाहिर करते हैं।
दूसरा सबूत
उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी के प्रभारी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने पश्चिम बंगाल में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे को लेकर बयान दिया था। संजय सिंह ने उस वक्त कोरोना गाइडलाइंस को याद किया था। सवाल उठाए थे। हालांकि, यूपी में आम आदमी पार्टी की मनीष सिसोदिया के साथ लॉन्चिंग का मौका हो या अलग-अलग कार्यक्रमों में संजय सिंह समेत आप नेताओं की मौजूदगी, वह भी बिना मास्क, क्या कोरोना इनसे डरता है। क्या इनकी कोई जिम्मेदारी ही नहीं।
तीसरा सबूत
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने नेताओं को सिखाते हैं कि इंसान का इंसान से हो भाईचारा। उधर, आप की सरकार में पूर्व में कानून मंत्री रहे सोमनाथ भारती उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए बेतुके बयान देते हैं, गालीगलौच करते हैं, खाकी पर भी अभद्र बयान देते हैं। क्या यह आम आदमी पार्टी की योग्यता का प्रमाण माना जाए। क्या इन बातों के साथ सोमनाथ भारती समेत पूरी आम आदमी पार्टी कहीं से इस काबिल है कि वो खुद को शिक्षित कह सके।